मंगल गान के नहीं, यथार्थ और चेतना के जनकवि हैं त्रिभुवन- अनामिका अनु
(अनामिका अनु / Anamika Anu) हिनहिनाते घोड़ों की खुरजियों में स्वप्न भर कर एक बच्चा कलम की राह चलता है और अचंभे के साथ पूरी वर्णमाला को देखता है. धीरे-धीरे वर्ण उसके संगी-साथी बन जाते हैं और वह उनके साथ खेलने लगता है. अब वह शब्द लिख सकता है और बना सकता है नई पंक्तियां. … Read more