एन आर इस्पात व माँ काली अलॉयज कम्पनी के प्रस्तावित विस्तार के खिलाफ क्षेत्र के सैकड़ों भूमिपुत्रों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। पर्यावरण पर इसके गहरे प्रभाव को लेकर चिंतित भूमिपुत्र कॉंग्रेस नेता उस्मान बेग के नेतृत्व में आगामी जनसुनवाई का पुरजोर विरोध करने जा रहे हैं। इस जनसुनवाई में भूमिपुत्र अपनी आवाज बुलंद करते हुए कम्पनी के विस्तार को रोकने की मांग करेंगे । कांग्रेस के युवा नेता उस्मान बेग ने स्पष्ट कहा कि कम्पनियों के विस्तार से जल जंगल जमीन लुट रही है और बदले में ये पूंजीवादी औद्योगिक विस्तार रोजगार एवं विकास के सपने दिखाकर प्रदूषण और बीमारियाँ ही भूमिपुत्रों को दे रहे हैं इसलिए हर स्तर पर विस्तार के लिए होने वाली जनसुनवाई का तीव्र विरोध किया जाएगा ।
प्राकृतिक संसाधनों पर संकट का डर…
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कम्पनी का विस्तार हुआ, तो क्षेत्र की नदियां और जल स्रोत प्रदूषित हो सकते हैं, जिससे कृषि और पीने के पानी का संकट पैदा हो सकता है। उस्मान बेग ने कहा, “हमारी नदियां जीवनरेखा हैं, यदि वे दूषित होती हैं तो न केवल हमारी खेती प्रभावित होगी, बल्कि हमारे बच्चों और परिवारों का स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ जाएगा। इस क्षेत्र में पहले से ही औद्योगिक प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है और भूमिपुत्र कम्पनियों के इस विस्तार को एक ऐसी आपदा के रूप में देख रहे हैं, जो उनकी भूमि को बंजर बना सकती है और वायु की गुणवत्ता को और अधिक खराब कर सकती है।
आजीविका पर सीधा असर
कम्पनियों के विस्तार की सुगबुगाहट के बीच किसानों और मवेशी पालकों की चिंताएं और भी गहरी हुई हैं। उनका कहना है कि यदि कम्पनी का विस्तार होता है, तो उनकी आजीविका को भारी नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि “हमारी जमीन हमारी पहचान है। अगर यह कम्पनी विस्तार करती है, तो हमारी फसलें प्रभावित होंगी और मवेशियों के लिए पानी का स्रोत भी दूषित हो जाएगा,” ।महिलाएं भी इस विरोध में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने परिवारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। एक महिला ने कहा, “अगर पानी ही जहरीला हो जाएगा, तो हम अपने बच्चों को क्या पिलाएंगे? हम आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ेंगे।”

विकास बनाम पर्यावरण की जंग
जनसुनवाई से पहले विरोध की इस लहर ने प्रशासन और कम्पनी दोनों को सवालों के घेरे में ला दिया है। जिला प्रशासन ने हर बार भूमिपुत्रों को आश्वासन दिया है कि उनकी सभी चिंताओं पर विचार किया जाएगा और विस्तृत पर्यावरणीय अध्ययन के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। पर हर बार के कोरे आश्वासन के बाद भी जल जंगल जमीन की बलि लेकर औद्योगिक विस्तार को तवज्जो दी जाती रही है । ग्रामीण अब इन कोरे आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हैं।
उस्मान बेग ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कदम चाहते हैं। अगर हमारी बातें नहीं सुनी गईं, तो हम आंदोलन को और तेज करेंगे। यह हमारे जीवन का सवाल है, और हम पीछे नहीं हटेंगे। मां काली औ एन आर इस्पात की जनसुनवाई का सड़क पर उतर कर विरोध किया जाएगा और मांगे नही माने जाने पर बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा”।
आने वाले दिनों में संघर्ष की संभावना
इस विरोध के साथ माँ काली अलॉयज कम्पनी एवं आर एन प्लांट के विस्तार को लेकर तनाव बढ़ गया है। जनसुनवाई के दौरान क्या फैसला होता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इधर उस्मान बेग के नेतृत्व में।एकजुट हो रहे सैकड़ो भूमिपुत्रों की फौज ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनके हितों की अनदेखी की गई, तो वे आन्दोलन को व्यापक रूप देंगे और अपनी जल जंगल और जमीन की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि औद्योगिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच सामंजस्य बनाना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस संघर्ष का समाधान कैसे निकालता है।







