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July 24, 2025 12:27 am

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छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम, शिक्षकों की होगी 5000 नई भर्तियां, स्कूलों का युक्तियुक्तकरण शुरू

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**रायपुर।** छत्तीसगढ़ सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी, संतुलित और समावेशी बनाने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है। इसी कड़ी में प्रदेश में शिक्षकों के रिक्त पदों पर चरणबद्ध भर्ती और स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (तर्कसंगत समायोजन) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस पहल से न केवल छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल मिलेगा, बल्कि शिक्षकों की उपलब्धता और संसाधनों का भी बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।

सरकार ने प्रथम चरण में **5000 शिक्षकों की भर्ती** का निर्णय लिया है। इससे शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था को नई गति मिलेगी और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी। शिक्षा विभाग ने इस भर्ती प्रक्रिया के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

### शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया

राज्य सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने के उद्देश्य से स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण प्रारंभ कर दिया गया है। युक्तियुक्तकरण का आशय है—ऐसी व्यवस्था जिसमें सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो, कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन न रहे और संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके।

शिक्षा विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार—

* **30,700 प्राथमिक स्कूलों में औसतन 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक** हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
* **13,149 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में** यह अनुपात **26.2 छात्र प्रति शिक्षक** है।

हालांकि अब भी कुछ चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं:

* **212 प्राथमिक स्कूलों** में **कोई शिक्षक नहीं** है।
* **6,872 स्कूलों** में केवल **एक शिक्षक** पदस्थ हैं।
* पूर्व माध्यमिक स्तर पर **48 स्कूलों** में **शिक्षक विहीन** स्थिति है और **255 में एकल शिक्षक** हैं।
* **362 स्कूलों** में शिक्षक तो हैं, लेकिन **एक भी छात्र नहीं** है।

### तर्कसंगत समायोजन से बदलेगा शिक्षा का नक्शा

युक्तियुक्तकरण के तहत ऐसे स्कूलों की पहचान की जा रही है जहां शिक्षक अधिक हैं, लेकिन छात्र नहीं। ऐसे स्कूलों से शिक्षकों को हटाकर उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षक नहीं हैं या कम हैं। इससे न केवल शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक स्कूलों की समस्या दूर होगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।

इस व्यवस्था से स्कूल संचालन का खर्च कम होगा, संसाधनों का कुशल उपयोग होगा, और बच्चों को एक ही परिसर में प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक की पढ़ाई का अवसर मिलेगा। इससे छात्रों को बार-बार स्कूल बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और **ड्रॉपआउट रेट** में भी कमी आएगी।

### कितने स्कूल होंगे समायोजित?

शिक्षा विभाग के अनुसार राज्य के **10,463 स्कूलों में से केवल 166 स्कूलों** का समायोजन किया जाएगा:

* **ग्रामीण क्षेत्रों के 133 स्कूलों** में छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के भीतर दूसरा स्कूल मौजूद है।
* **शहरी इलाकों के 33 स्कूलों** में दर्ज संख्या 30 से कम है और 500 मीटर की दूरी पर दूसरा स्कूल चल रहा है।

बाकी **10,297 स्कूल पूरी तरह से चालू रहेंगे**।

### समायोजन से क्या होगा लाभ?

* **हर स्कूल में शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।**
* **छात्र-शिक्षक अनुपात में संतुलन आएगा।**
* **सभी बच्चों को विषय विशेषज्ञ शिक्षक मिलेंगे।**
* **लैब, लाइब्रेरी, कंप्यूटर जैसी सुविधाएं एक ही परिसर में उपलब्ध होंगी।**
* **छात्रों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी।**

### निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को अधिक मजबूत, संतुलित और आधुनिक बनाएगी। युक्तियुक्तकरण और नई भर्तियों से बच्चों को न केवल बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि वे एक सकारात्मक शैक्षणिक वातावरण में अपनी प्रतिभा को निखार सकेंगे। सरकार की यह नीति “हर बच्चे को अच्छी शिक्षा” के विजन को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।

Anash Raza
Author: Anash Raza

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