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June 9, 2025 9:48 pm

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विश्व पर्यावरण दिवस विशेष: केवल चिंता न करें, प्रकृति की रक्षा के लिए स्वयं को बदलें

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Environment Day Special: Don’t just worry change yourself to protect nature

फैज़ानअशरफ

नदियों की बिगड़ती स्थितियों और पानी को लेकर हाहाकार से हम सब परिचित हैं। जल संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे सरकार और सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवी संस्थाएं करती हैं, लेकिन न तो नदियां साफ हो रही हैं और न ही भूजल की स्थिति सुधर रही है।

पर्यावरणनाशेन, नश्यन्ति सर्वजन्तवः।
पवनः दुष्टतां याति, प्रकृतिर्विकृतायते॥

यानी

पर्यावरण के नाश से सभी जीव नष्ट हो जाते हैं। हवा दूषित हो जाती है, और प्रकृति विकृत हो जाती है।

हमें संस्कृत के उक्त श्लोक से सबक लेना चाहिए। वैसे, अपनी प्रकृति की रक्षा के लिए 5 जून को हर वर्ष हम पर्यावरण दिवस मना रहे हैं, लेकिन यूं लगता है कि पर्यावरण दिवस केवल सरकारी कार्यक्रमों की रस्म अदायगी बनकर रह गया है। सिर्फ चिंता और चिंतन से आगे बात बढ़ नहीं पा रही है। कोई ठोस कदम गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। पर्यावरण की स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर हो रही है।

नदियां और प्रदूषित हो रही हैं। हवा और दूषित व जहरीली हो रही है। पेड़ों की कटाई निरंतर जारी है। भूमि बंजर हो रही है। अब समय आ गया है, जब हम पर्यावरण दिवस से आगे बढ़ें और प्रतिदिन प्रकृति का ध्यान रखें। पर्यावरण की रक्षा को जनांदोलन में बदलें। केवल पांच चीजें यदि हम स्वयं के जीवन में अपना लें तो पर्यावरण को पहले की भांति साफ और स्वच्छ बना सकते हैं।

जल संरक्षण

नदियों की बिगड़ती स्थितियों और पानी को लेकर हाहाकार से हम सब परिचित हैं। जल संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे सरकार और सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवी संस्थाएं करती हैं, लेकिन न तो नदियां साफ हो रही हैं और न ही भूजल की स्थिति सुधर रही है। भूजल तो और नीचे पाताल में जा रहा है।

देश में लगातार डार्क जोन बढ़ रहे हैं। यदि हम पानी वर्षा जल का संचय करने का संकल्प लें। घरों की अपनी टपकती टोटियों को ठीक करें। जल का सही उपयोग करें तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षित रहेगा। एक प्रण सरकार और फैक्टियां भी लें, नदियों में केमिकल युक्त दूषित जल नहीं जानें देंगे।

प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण

प्लास्टिक या पॉलिथीन को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। जबसे प्लास्टिक या पॉलिथीन हमारे जीवन में आया है, उस दिन से जल और भूमि, दोनों की दुर्गति शुरू हो गई। सरकार कपड़े और जूट के थैले उपयोग में लेने तथा सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर बड़े-बड़े अभियान चलती है, लेकिन इसका प्रभाव कुछ भी नहीं हो रहा है।

गांव से लेकर बड़े महानगरों तक धड़ल्ले से प्लासिटक या पॉलिथीन का उपयोग जारी है। यदि हम यह ठान लें कि हमें कपड़े या जूट के थैली का ही उपयोग करना है, रि-साइकिल प्लास्टिक या पॉलिथीन को अपनाना है तो हमारी नदियां भी साफ होंगी, हमारी भूमि भी स्वच्छ होगी। बस एक छोटा सा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है।

ऊर्जा की बचत

ऊर्जा की बचत करके हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। ऊर्जा की खपत घटाकर हम कार्बन उत्सर्जन में कमी ला सकते हैं। हमें एलईडी बल्ब और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। निजी वाहनों से अधिक सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना है।

सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा पर जोर दे रही है। बस ईमानदारी से ऊर्जा की बचत को अपनाने की आवश्यकता है। जब कमरे से निकलें तो बिजली के उपकरण बंद करने की आदत को व्यवहार में ले आएं।

कचरा प्रबंधन

सड़कों के किनारे या सार्वजनिक स्थानों पर हमने हरे और नीले रंग के कचरा पात्र देखे होंगे, यानी गीले और सूखे कचरे को लेकर पिछले कुछ वर्षों से एक अभियान चल रहा है। यदि हम गीला और सूखा कचरा सही पात्र में डालने को व्यवहार में ले आएं तो बड़ा बदलाव पर्यावरण संरक्षण को लेकर ला सकते हैं।

गीले कचरे से जहां जैविक खाद बनाई जा सकती है, वहीं सूखे कचरे को रि-साइकिल कर पुनः उपयोग में लिया जा सकता है। इंदौर शहर, जो पिछले कई वर्षों से स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में नंबर वन है, वहां लोगों ने इस आदत को अपनाया है। बाकी देश के लोगों को भी इसे अपनाने की जरूरत है।

एक परिवार-एक पेड़

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान चलाया था। वैसे, पिछले कई दशकों से ‘पेड़ लगाओ-पर्यावरण बचाओ’ का नारा देश में लगाया जा रहा है, लेकिन कितने लोगों ने ईमानदारी से पेड़ लगाए हैं। भारत में करीब 25 करोड़ परिवार हैं।

यदि इनमें से आधे परिवार भी हर वर्ष एक पेड़ लगाने और उसकी सुरक्षा की ठान लें तो देश हरियाली से भर सकता है। वायु शुद्ध हो जाएगी। तापमान नियंत्रित होगा। जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन यह कदम हमें स्वयं ही उठाना होगा। पर्यावरण दिवस पर केवल चिंता और चिंतन न करें। सबकुछ सरकार के भरोसे न छोड़ें।

Anash Raza
Author: Anash Raza

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