प्रदेश का एक मात्र शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय वर्ष 2003 में रायपुर के जी.ई. रोड स्थित शा. आयुर्वेदिक कॉलेज कैंपस में अस्तित्व में आया। स्थापना से अब तक यहाँ प्रतिवर्ष 100 छात्र/छात्राएं बीडीएस की डिग्री लेकर दंत चिकित्सक बन रहे है साथ ही साथ वर्ष 2018 में एमडीएस पाठ्यक्रम की शुरूआत से प्रतिवर्ष हर डेंटल विभाग के कुल मिलाकर 20 – 27 विशेषज्ञ दंत चिकित्सक तैयार हो रहे है।
300 – 350 मरीजो की ओपीडी वाले एकमात्र शा. दंत चिकित्सा महाविद्यालय में शुरुआत से ही मरीजो का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता है।
महाविद्यालय में BDS, MDS की पढ़ाई एवं मरीजो के इलाज हेतु यहाँ कार्यरत प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, अस्सिटेंट प्रोफेसर एवम अन्य डॉक्टरों का शतप्रतिशत योगदान रहा,जिन्होंने शासन के साथ मिलकर काम करते हुए इस महाविद्यालय को प्रदेश एवं देशभर में एक अलग पहचान दिलाई।
वर्ष 2003 में इस महाविद्यालय की स्थापना के समय जब वरिष्ठ एवं अनुभवी दंत चिकित्सा शिक्षको की कमी रही, तब शासन ने स्वशासी समिति के माध्यम से डॉक्टरों की संविदा भर्ती की, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2009 में महाविद्यालय को बीडीएस पाठ्यक्रम हेतु डेंटल काँसिल ऑफ़ इंडिया (DCI) से पूर्ण मान्यता प्राप्त हुई।
इन संविदा डॉक्टरों के इस योगदान का सम्मान रखते हेतु शासन ने इनकी संविदा सेवा को नियमित करने का आश्वासन दिया।वर्ष 2009 एवं 2010 में शासन ने नियमितीकरण हेतु आवेदन भी मंगाए ,अधिसूचना जारी की ,लेकिन इस पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।
वर्ष 2018 में महाविद्यालय को स्थापित हुए 15 वर्ष पूरे हो चुके थे,लेकिन बहुत प्रयासो के बाद भी अब तक यहाँ स्पेशलिस्ट एमडीएस पाठ्यक्रम प्रारंभ नही हो पाया था, इन परिस्थितियों में पाठ्यक्रम को डेंटल काउंसिल ऑफ़ इंडिया से मान्यता दिलाने हेतु पुनः दंत चिकित्सा शिक्षको की संविदा भर्ती की गयी, तदोपरांत वर्ष 2019 में एमडीएस पाठ्यक्रम में एडमिशन शुरू हुआ।
वर्तमान में शा. दंत चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर में सिर्फ 30% टीचिंग स्टाफ नियमित और 70% टीचिंग स्टाफ संविदा में कार्यरत है, जिनके कारण छात्र/छात्राओ का अध्यापन तथा मरीजो का इलाज सुचारू रूप से संचालित है। तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय डॉ. रमन सिंह जी द्वारा वर्ष 2017 से 2019 के प्रयासों से संविदा डॉक्टरों के नियमितीकरण करने वाला “छ. ग. स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय आदर्श सेवा भर्ती नियम2019” छ. ग. राजपत्र में प्रकाशित हुआ,परन्तु इसका क्रियान्वयन आज तक हो नहीं पाया।
ऐसे में जब प्रदेश के 8 शा. मेडिकल कॉलेज के संविदा डॉक्टरों ने नियमितीकरण नही होने से नौकरी छोड़कर अन्यत्र जाना उचित समझा,
वही शा. डेंटल कॉलेज के संविदा डॉक्टरों ने इस महाविद्यालय में ही रहना अपना कर्तव्य समझा।
संविदा नियम से कार्यरत डॉक्टरो को प्रत्येक वर्ष अपनी सेवा के नवीनीकरण हेतु सामान्यतः 2 से 3 महीने का इन्तेजार करना पड़ता है, वर्तमान में ही लगभग 35 संविदा डेंटल डॉक्टरों के नवीनीकरण की प्रक्रिया महीनों से लंबित है।
जब तक नवीनीकरण नही हो जाता तब तक उनको बिना वेतन के ही काम करना होता है, ऐसे में इनके लिए अपने पारिवारिक एवं अन्य दायित्वों का निर्वहन करना मुश्किल होता है।
शा. दंत चिकित्सा महाविद्यालय के ये संविदा दंत चिकित्सक जो कि एकमुश्त वेतन (जो कि समान पद के नियमित सहकर्मी के वेतन का आधा है। ) के अतिरिक्त अन्य कोई सुविधा (चिकित्सा अवकाश/अर्जित अवकाश/ग्रीष्मकालीन अवकाश) के बिना लगभग 20 वर्षो से कार्यरत है, तथा ये संविदा डॉक्टर्स आज भी शासन एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से आशान्वित है कि वो इन्हें इनका हक़ देंगे, समय बदलेगा ।
