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July 24, 2025 4:24 am

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नो प्रॉफिट-नो लॉस के तहत रायपुर में तैयार हो रहे राम मंदिर के मॉडल, हर घर पहुंचाने का लक्ष्य

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Ram Mandir Model: अयोध्या में राम मंदिर का उद्घ्राटन 22 जनवरी को होना है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखते हुए बाजार को सजाया गया है. प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पूर्व देश में गजब का उत्साह है. बाजारों में राम मंदिर के मॉडल की जबरदस्त मांग देखी जा रही है. वॉल हैंगिंग, वुड कार्विंग, मेटल रिपौजी वर्क, जरी जरदोजी, सॉफ्ट स्टोन जाली क्राफ्ट की मदद से राम मंदिर का मॉडल बनाया जा रहा है. हर सनातनी अपने घर, ऑफिस, दुकान, फैक्ट्री और प्रतिष्ठान में राम मंदिर की प्रतिकृति रखना चाहते हैं. विश्व हिन्दू परिषद उद्घाटन से पहले घर-घर तक राम मंदिर का मॉडल पहुंचाने की योजना है. दिल्ली के व्यापारी विजय पाल देश के कई हिस्सों से राम मंदिर के मॉडल तैयार करवा रहे हैं.

इसे वे ‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ की योजना के अनुसार काम कर रहे हैं. हरियाणा के जींद, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मध्यप्रदेश के सीहोर और छत्तीसगढ़ के रायपुर में कंप्यूटर नूमेरकल कंट्रोल (CNC) मशीनों से मंदिर मॉडल तैयार करवा रहे हैं. ये लेजर कटिंग से काम करती हैं. इसमें महीन काम खूबसूरती से होगा है. मंदिरों की असेंबलिंग दिल्ली में करवा रहे हैं.

विजय पाल ने बताया कि बड़े लेवल पर प्रॉडक्शन हो रहा है, जो मशीनों से ही संभव है. सबसे छोटे मॉडल की ऊंचाई और लंबाई 4 इंच है. मार्केट में 6 से 12 इंच की प्रतिकृति की भी मांग है. ये घर में रखने के लिए पर्याप्त है. इससे बड़ा मॉडल रखेंगे, तो प्राण प्रतिष्ठा कर रोजाना पूजा करनी होगी. यदि कोई बड़ा मॉडल बनवाना चाहता है, तो ऑर्डर पर तैयार करवाते हैं. अब तक 10 हजार पीस के ऑर्डर आ चुके हैं. करीब हजार पीस डिलीवर कर दिए हैं. इन मॉडल की कीमत 125 से 700 रुपए तक है.

देशभर के बाजारों में मार्केट असोसिएशंस के बीच राम मंदिर के मॉडल को लेकर अच्छा रेस्पॉन्स देखने को मिल रहा है. विजय पाल ने बताया कि दिल्ली के व्यापारिक संगठनों ने तो बड़े स्तर पर राम मंदिर मॉडल के ऑर्डर दिए हैं. ये अपने सदस्यों के साथ परिचितों, फैमिली मेंबर्स, रिश्तेदारों और ग्राहकों को भी राम मंदिर का मॉडल भेंट करना चाहते हैं. व्यापारियों और निर्माताओं की पहली पसंद मीडियम डेंसटी फाइबरबोर्ड (MDF) के मंदिर हैं. MDF के जरिए आसानी से मॉडल तैयार हो जाता है. इसमें वक्त भी कम लगता है. जबकि लकड़ी के मंदिर में समय लगता है. इसका खर्चा भी अधिक होता है. इसमें उतनी फाइन क्वालिटी भी नहीं होती है.

Faizan Ashraf
Author: Faizan Ashraf

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