
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है। कई इलाकों मे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार पहुंच गया। सीपीसीबी के मुताबिक, दिल्ली में दिन का औसत एक्यूआई 372 यानी बेहद खराब श्रेणी में रहा। एनसीआर में इसके बाद सर्वािधक प्रदूषित ग्रेनो रहा। यहां का एक्यूआई 350 दर्ज किया गया। वहीं, नोएडा का एक्यूआई 349, गाजियाबाद का 312, गुरुग्राम का 310 और फरीदाबाद का 294 दर्ज किया गया।
नवंबर में 26 दिन रहा सांसों पर संकट
राजधानी में हवा की सेहत बिगड़ रही है। केंद्र व दिल्ली सरकार की सख्ती के बावजूद वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसे में लोग दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार इस साल नवंबर माह में वर्ष 2022 की तुलना में गंभीर श्रेणी में हवा के दिन तीन गुना बढ़े हैं। यही नहीं बेहद खराब श्रेणी के दिन भी बढ़ गए हैं। 26 दिन सांसों पर संकट रहा। वहीं, चार दिन हवा खराब श्रेणी में रही। इस साल नवंबर माह एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब हवा सामान्य श्रेणी में दर्ज की गई हो। हालांकि, खराब श्रेणी हवा के दिन में कमी देखने को मिली है।
विशेष बात यह है कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू है। ऐसे में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारी व प्रशासनिक दावों की कार्यप्रणाली पोल खोल रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण के बढ़ने के पीछे की वजह दिल्ली व पड़ोसी राज्यों में हवा की गति कम होना है। इसके अलावा दिवाली के बाद पराली जलाने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इससे वायु प्रदूषण में इजाफा हुआ है।
9 दिन रही गंभीर श्रेणी में हवा
सीपीसीबी के मुताबिक इस वर्ष नवंबर माह में नौ दिन हवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। जबकि वर्ष 2022 में केवल तीन दिन ऐसे थे, जब हवा गंभीर श्रेणी में रही थी। वहीं, 17 दिन हवा बेहद खराब श्रेणी में रही, जोकि वर्ष 2022 की तुलना में एक दिन अधिक है। वहीं, चार दिन हवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई। आलम यह है कि नवंबर माह में एक भी दिन हवा सामान्य व संतोषजनक श्रेणी में नहीं रही। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दशा सुधरने के बजाए, इस बार हवा और बिगड़ गई है। हवा की गति चार किलोमीटर प्रतिघंटे तक रही है, जबकि 10 किलोमीटर प्रतिघंटे होनी चाहिए।







