रायपुर, जून 2025।
छत्तीसगढ़ के 65 लाख घरेलू और व्यावसायिक बिजली उपभोक्ताओं को इस बार महंगी बिजली का तगड़ा झटका लगने वाला है। बिजली वितरण कंपनी ने मई माह की बिजली खपत पर आधारित जून के बिल में फिर से एफपीपीए (Fuel Price and Power Purchase Adjustment) शुल्क जोड़ दिया है। इससे प्रत्येक उपभोक्ता को औसतन 7.32% अधिक राशि का भुगतान करना होगा।
**क्या है एफपीपीए शुल्क?**
एफपीपीए एक परिवर्तनीय शुल्क होता है जिसे बिजली कंपनियां ईंधन दरों और बाजार से खरीदी गई बिजली की कीमत में हुए उतार-चढ़ाव के आधार पर उपभोक्ताओं से वसूलती हैं। यह राशि हर महीने अलग-अलग होती है और टैरिफ के अतिरिक्त जोड़ी जाती है।
**अप्रैल में राहत, जून में फिर बोझ**
अप्रैल माह के बिजली बिल में एफपीपीए शुल्क को पहली बार माइनस किया गया था, जिससे उस माह उपभोक्ताओं को करीब 12.61% की राहत मिली थी। इसका असर मई में भेजे गए बिलों में साफ नजर आया और लोगों ने कम भुगतान किया।
लेकिन यह राहत ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। जून में जो बिजली बिल उपभोक्ताओं को मिल रहा है, उसमें एफपीपीए शुल्क फिर से जोड़ा गया है, जिसकी दर इस बार 7.32% निर्धारित की गई है। इससे बिल की राशि में सीधा इज़ाफा हो रहा है।
**अभी तय नहीं हुआ नया टैरिफ, फिर भी जेब पर असर**
गौरतलब है कि राज्य में अभी तक नए बिजली टैरिफ की घोषणा नहीं की गई है। छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग (CSERC) की ओर से टैरिफ पुनरीक्षण को लेकर प्रक्रिया जारी है, लेकिन तब तक एफपीपीए शुल्क के जरिए ही बिजली कंपनियां लागत वसूलने में लगी हैं।
महंगी बिजली को लेकर उपभोक्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। बहुत से उपभोक्ता सोशल मीडिया पर शिकायत कर रहे हैं कि बिना पूर्व सूचना के फिर से अतिरिक्त शुल्क जोड़ दिया गया है। छोटे दुकानदार, किसान और निम्न आय वर्ग के लोग इस बढ़ी हुई दर को लेकर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक बिजली टैरिफ का नया निर्धारण नहीं होता, तब तक एफपीपीए शुल्क हर महीने ऐसा ही उतार-चढ़ाव करता रहेगा। इस वजह से उपभोक्ताओं को कभी राहत तो कभी झटका लगता रहेगा।
बढ़ती महंगाई और गर्मी के इस दौर में बिजली बिल में 7.32% का अतिरिक्त भार आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। ऐसे में सरकार और बिजली कंपनियों से पारदर्शिता और पूर्व सूचना की मांग जोर पकड़ रही है।
