हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध बनाने वाले आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की बृहस्पतिवार को पुण्यतिथि मनाई जाएगी। प्रयागराज से उनके गहरे जुड़ाव की निशानी के तौर पर इंडियन प्रेस अभी भी गवाह के तौर पर मौजूद है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि सरस्वती की साहित्यिक धारा एक बार फिर उसी इंडिचयन प्रेस से प्रवाहित हो रही है। सरस्वती के संपादक के रूप में उन्होंने आधुनिक हिंदी जन-जन में ग्राह्यता और स्वीकार्यता पैदा की।
द्विवेदी युग के प्रवर्तक आचार्य महावीर हिंदी गद्य के उन निर्माताओं में से हैं, जिनकी प्रेरणा और प्रयत्नों से हिंदी भाषा समृद्ध ही नहीं हुई, बल्कि कई कवि-कथाकार विश्व पटल पर स्थापित भी हुए। 1903 से दिसंबर 1920 तक सरस्वती के संपादक रहे आचार्य आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की साहित्य साधना पर बुधवार को मौजूदा संपादक अनुपम परिहार ने विस्तार से रोशनी डाली।