अम्बिकापुर
शिक्षकों और शालाओं के बीच पारदर्शिता कायम रखने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने एक ही दिन में दो अहम निलंबन आदेश जारी कर पूरे शिक्षा महकमे को सख़्त संदेश दिया है। सरगुजा संभाग के आयुक्त कार्यालय ने जहाँ मनेन्द्रगढ़ के विकासखंड शिक्षा अधिकारी सुरेन्द्र प्रसाद जायसवाल को युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में कुटरचना और वरिष्ठता क्रम से छेड़छाड़ के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है, वहीं जशपुर जिले के कुरडेग शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य तरसियुस तिग्गा पर छात्रों से शासन से अधिक शुल्क वसूलने के मामले में निलंबन की गाज गिरी है।
कलेक्टर मनेन्द्रगढ़–चिरमिरी–भरतपुर की शिकायत के आधार पर हुई प्रारम्भिक जाँच में पाया गया कि सुरेन्द्र जायसवाल ने शिक्षकों की सूची में वरिष्ठ को कनिष्ठ घोषित कर दिया, विषय निर्धारण में मनमानी बरती और चक्रिय व्यवस्था का पालन नहीं किया। उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की धारा तीन और वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मनेन्द्रगढ़–चिरमिरी–भरतपुर रहेगा और उन्हें मात्र जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।
उधर विकासखंड शिक्षा अधिकारी बगीचा की जाँच रिपोर्ट में यह प्रमाणित हुआ कि प्रभारी प्राचार्य तरसियुस तिग्गा ने कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों से निर्धारित शुल्क से अधिक राशि वसूली। इसे पददायित्व में घोर लापरवाही और स्वैच्छाचारिता मानते हुए सरगुजा कमिश्नर नरेंद्र कुमार दुग्गा ने उन्हें भी छत्तीसगढ़ सिविल सेवा के समान नियमों के तहत निलंबित कर दिया। तिग्गा का मुख्यालय अब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जशपुर रहेगा और वे भी निलंबन अवधि में केवल जीवन निर्वाह भत्ता पाने के हकदार होंगे।
दोनों निलंबन आदेशों ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और नियम पालन से कोई समझौता नहीं होगा। शासन का कहना है कि यदि आगे भी युक्तियुक्तकरण या शुल्क संबंधी गड़बड़ियाँ सामने आईं तो कठोर कदम उठाने में देर नहीं की जाएगी।
