Explore

Search

July 23, 2025 10:44 am

LATEST NEWS
Lifestyle

BHU की स्टडी में दावा: कोवैक्सिन लेने वाले 3 में से एक व्यक्ति में दिखे साइड इफेक्ट, कई लोगों में दुर्लभ समस्याएं भी सामने आईं

Facebook
Twitter
WhatsApp
Email

 बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने कोवैक्सीन को लेकर किए गए अध्ययन में चौकाने वाले खुलासे किए हैं। यूनिवर्सिटी ने बायोटेक कंपनी द्वारा निर्मित कोवैक्सीन टीके पर एक साल का फॉलोअप स्टडी किया है। इससे पता चला है कि कोवैक्सीन लगवाने वाले 3 में से एक व्यक्ति में इसके साइड इफेक्ट नजर आए हैं। साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में इससे जुड़े एक आर्टिकल में इस बात का खुलासा किया गया है। इस साइड इफेक्ट को मेडिकल टर्म में एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इवेंट(AESI) नाम दिया गया है। 

बीएचयू ने 635 टीन एजर्स और 291 वयस्कों पर किया अध्ययन
बीएचयू की इस स्टडी में 635 टीन एजर्स और 291 वयस्क लोग शामिल थे। इस स्टडी का मकसद यह पता लगाना था कि  बीबीवी152 वैक्सीन लगवाने के बाद लंबी अवधि में सेहत पर इसका क्या असर होता है। अध्ययन के दौरान टीका लगवा चुके लोगों से वैक्सीन लगवाने के एक साल बाद टेलीफोन पर इंटरव्यू लिया गया। इसके बाद उनसे सेहत से जुड़े कुछ सवाल किए गए। सारे लोगों से मिले जवाबों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई। जिसमें पाया गया कि कोवैक्सीन लगवाने वाले करीब एक तिहाई लोग एक जैसे साइड इफेक्ट से जूझ रहे हैं। 

 47.9% किशारों और 42.6% व्यस्कों में सांस संबंधी शिकायतें 
अध्ययन में पाया गया कि 47.9% यानी कि 304 टीन एजर्स और 42.6% यानी कि 124 व्यस्कों में टीकाकरण के एक साल बाद सांस संबंधी संक्रमण की शिकायतें पेश आई। खास तौर पर अपर रेस्पिरेटी ट्रैक्ट इंफेक्शन की शिकायतें सामने आने लगी। इस प्रकार के किशाेरों और व्यस्कतों को जुकान, सर्दी और नाक से पानी आने जैसी समस्याएं होने लगी। 

टीका लगवाने वाले में चमड़ी से जुड़ी समस्याएं भी सामने आई
अध्ययन में शामिल10.5% किशोरों ने चमड़ी से जुड़ी समस्याएं होने की शिकायत की। साथ ही 4.7% किशोरों ने नस से जुड़ी समस्याएं होने और 10.2% ने सामान्य समस्याएं होने की बात कही। जबकि स्टडी में शामिल 8.9% वैक्सीन लेने वालाें ने जनरल डिसऑर्डर, 5.5% व्यस्कों ने नस से संबंधित समस्याएं और 5.8% व्यस्कों ने हड्डियों और मांशपेशियों से जुड़ी समस्याएं होने की शिकायत की। 

किशोर वय लड़कियों को हुई मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं
कोवैक्सीन टीका लगवाने वाली टीएन एजर्स लड़कियों में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं सामने आई हैं। टीका लगवाने वाली 4.6% टीन एज की लड़कियों का पीरियड अनियमित हाे गया। वहीं, 0.3% लोगों ने स्ट्रोक आने की शिकायत की। 2.7% वैक्सीन लगावाने वालों ने आंखों से जुड़ी समस्याओं की शिकायत की। टीका लगवा चुके 0.6% लोगों ने हाइपोथायरायडिज्म होने की बात कही।

कई लोगों में सामने आई दुर्लभ GBS सिंड्रोम
इसके साथ ही सर्वे में शामिल  0.1% वैक्सीन लगवाने वालों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) भी पाया गया। बता  दें कि GBS एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें शरीर का एक बड़ा हिस्सा पैरेलाइज हो जाता है। नसों से जुड़ी इस दुर्लभ बीमारी के शिकार लोगों के शरीर का बड़ा हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी का इलाज बेहद मुश्किल है। ज्यादातर मामलों में इस सिंड्रोम की चपेट में आने वाले रोगियों की मौत हो जाती है। 

महिलाओं और किशोरियों को पहले नहीं थी कोई एलर्जी
अध्ययन में यह बात भी निकल कर सामने आई है कि जिन किशोरवय लड़कियों  और महिलाओं ने माहवारी से जुड़ी शिकायतें की, उन्हें पहले किसी प्रकार की एलर्जी नहीं थी। वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ महिलाओं और किशोरियों में टाइफाइड की शिकायतें सामने आईं। जो महिलाएं और किशोरियां टाइफाइड की चपेट में आईं, उन्हें कुछ दिनों माहवारी से जुड़ी दिक्कतें भी होने लगीं। 

भारत बायोटेक ने अपने टीके को लेकर किया था दावा
कोवैक्सिन टीक बनाने वाली भारत बायोटेक कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन की असर का आंकलन से  जुड़ी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई। इसे बनाने से लेकर लोगों को यह टीका लगाने लगातार इसकी सुरक्षा की मॉनिटरिंग की गई थी। इस टीके के ट्रायल और सेफ्टी फॉलोअप में बेहतर सेफ्टी रिकॉर्ड पाया गया था। साथ ही कंपनी ने दावा किया था कि कोवैक्सिन लगवाने वाले किसी भी व्यक्ति में खून के थक्के जमना और दूसरे अन्य कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं।
कंपनी ने कहा था कि हम एक एक अनुभवी इनोवेटर्स और प्रोडक्ट डेवलपर हैं। हमारी टीम यह जानती थी कि टीके को साइड इफेक्ट कुछ समय तक रह सकता है लेकिन इससे मरीज का कोरोना से जीवन भर के लिए बचाव होगा। हमने टीक तैयार करने में सुरक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस करते हैं।

Anash Raza
Author: Anash Raza

Leave a Comment