Explore

Search

July 23, 2025 12:38 am

LATEST NEWS
Lifestyle

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा- लिव इन संबंध सामाजिक कलंक

Facebook
Twitter
WhatsApp
Email

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन संबंध भारतीय समाज के लिए कलंक है। इस तरह के संबंध आयातित धारणा हैं जो भारतीय रीति-रिवाजों की अपेक्षाओं के विपरीत हैं। इसके साथ हाईकोर्ट ने मुस्लिम पिता और हिंदू मां से जन्मे बच्चे के संरक्षण का अधिकार पिता को देने से इन्कार कर दिया।

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि वैवाहिक कर्तव्यों के प्रति उदासीनता ने लिव इन संबंधों की अवधारणा को जन्म दिया है। ऐसे संबंध कभी भी वह सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति, प्रगति और स्थिरता प्रदान नहीं करते हैं, जो विवाह संस्था प्रदान करती है।

पीठ ने कहा कि एक विवाहित व्यक्ति के लिए लिव इन संबंध से बाहर आना बहुत आसान है और ऐसे मामलों में उक्त कष्टप्रद लिव इन संबंध में धोखा खा चुकी महिला की वेदनीय स्थिति और उक्त रिश्ते से उत्पन्न संतानों के संबंध में अदालत अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है। बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले का निवासी अब्दुल हमीद सिद्दीकी तीन वर्ष से एक हिंदू महिला के साथ लिव इन संबंध में था, जबकि सिद्दीकी की पहली पत्नी से तीन बच्चे भी हैं। 

फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गया था पिता 
लिव इन में रहते हुए हिंदू महिला ने अगस्त 2021 में बच्चे को जन्म दिया, लेकिन 10 अगस्त 2023 को महिला बच्चे के साथ लापता हो गई। 

  • सिद्दीकी ने 2023 में हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई के दौरान महिला अपने माता-पिता एवं बच्चे के साथ पेश हुई। महिला ने अदालत को बताया कि वह अपनी मर्जी से अपने माता-पिता के साथ रह रही है। 
  • बच्चे से नहीं मिलने देने पर सिद्दीकी ने फैमिली कोर्ट, दंतेवाड़ा में याचिका दायर की। फैमिली कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी। तब सिद्दीकी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।
Anash Raza
Author: Anash Raza

Leave a Comment