रायपुर।
छत्तीसगढ़ में सुशासन अब सिर्फ एक नारा नहीं, एक अनुभव बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में ‘सुशासन तिहार’ का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण चरण 5 मई से 21 मई तक पूरे राज्य में चलाया जाएगा। यह वह पड़ाव है जहां जनता की शिकायतें कागज़ों से निकलकर समाधान के दरवाज़े तक पहुंचेंगी।
इस चरण की खास बात यह है कि मुख्यमंत्री खुद किसी भी जिले में बिना पूर्व सूचना के शिविरों में पहुंचेंगे, लोगों से मिलेंगे, उनकी समस्याएं सुनेंगे, और सरकार की योजनाओं का असर ज़मीनी स्तर पर परखेंगे। यह केवल औपचारिक निरीक्षण नहीं होगा, बल्कि सीधा संवाद होगा—जनता और शासन के बीच भरोसे की डोर को मजबूत करने का।
राज्यभर से अब तक 46 लाख से अधिक आवेदन व शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या सामान्य आवेदनों की है, जैसे—पेंशन, बिजली-पानी, राशन कार्ड, मकान, रोजगार आदि से जुड़ी समस्याएं।ये आवेदन ऑनलाइन, शिविरों और शिकायत पेटियों के माध्यम से जमा किए गए हैं। अब इन सभी को डिजिटल सिस्टम में दर्ज कर संबंधित विभागों को सौंपा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन सभी आवेदनों का एक माह के भीतर निपटारा किया जाए।
तीसरे चरण में हर जिले की 8 से 15 ग्राम पंचायतों और जरूरत अनुसार नगर निकायों में समाधान शिविर आयोजित होंगे। इन शिविरों में:
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आम जनता को उनके आवेदन की स्थिति की जानकारी दी जाएगी
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मौके पर ही प्राथमिक समस्याओं का समाधान किया जाएगा
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शेष आवेदनों पर कार्रवाई कर एक माह में सूचना दी जाएगी
मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, जनता की भागीदारी से चलने वाला सुशासन अभियान है।शिविरों में केवल शिकायतें नहीं सुनी जाएंगी, बल्कि जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी, हितग्राही प्रपत्र, और रोजगार से जुड़ी मदद भी दी जाएगी।
सांसद, विधायक, मंत्री, कलेक्टर से लेकर सचिव स्तर के अधिकारी शिविरों में मौजूद रहेंगे, जनता से मिलेंगे और उनकी बात सुनेंगे। साथ ही चल रहे विकास कार्यों का औचक निरीक्षण भी होगा ताकि कार्यों की गुणवत्ता और प्रगति का सटीक मूल्यांकन किया जा सके।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा है—“सुशासन तिहार जनता के अधिकार का उत्सव है। शासन की नीयत और नीति दोनों को धरातल पर उतारने का वक़्त अब आ गया है।”‘सुशासन तिहार’ छत्तीसगढ़ में जनभागीदारी और जवाबदेही का नया अध्याय है। यह उस भरोसे का उत्सव है जो जनता शासन पर और शासन जनता पर करता है।इस अभियान के साथ छत्तीसगढ़ यह दिखा रहा है कि सरकार अगर चाहे, तो सिर्फ फैसले नहीं, विश्वास भी बना सकती है।
