रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने निजी स्कूल संचालकों और नोडल प्राचार्यों की बैठक ली है। उन्होंने बैठक में आरटीई का पालन करना पहली प्राथमिकता की बात कही। इस अधिनियम के तहत स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे है, जिनका ऐसे स्कूलों में पढ़ना एक सपना रहता है, जो शिक्षा के अधिकार से पूरा हो रहा है। इस कार्य में उनकी अवश्य मदद करें।
उन्होंने कहा कि बच्चें अपनी शिक्षा बीच में क्यों पूरी नहीं की, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। उन्हें फिर से शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। जिला प्रशासन भी ड्रॉपआउट बच्चों के संबंध में आवश्यक जानकारी जुटाएगा। उन्होंने कहा कि कहा कि शिक्षा पहली प्राथमिकता है। आरटीई के तहत 12वीं की पढ़ाई करने के बाद बच्चों की यह जानकारी जुटाई जाए। सिंह ने कहा कि निजी स्कूलों के अच्छे शिक्षक के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता को उत्तम स्तर पर ले जाया जा सकता है।
इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ विश्वदीप ने कहा कि स्कूल में बेहतर समावेशी वातावरण तैयार किया जाए। बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दें। वे श्रेष्ठ नागरिक बनें। निजी स्कूल राईट टू एजूकेशन अधिनियम का हर संभव पालन करें। जिससे समाज के हर वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल ने कहा कि निजी स्कूल आरटीई के रिकॉर्ड सटीक जानकारी उपलब्ध कराए। अपडेट रिकॉर्ड तैयार कर उपलब्ध कराए। जितने विद्यार्थी अध्ययनरत है, उसकी ही जानकारी दें। इस अधिनियम में 25 प्रतिशत बच्चे पढ़ाए जाने का प्रावधान है, जिसका पालन करें।







