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July 25, 2025 8:49 pm

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नवरात्र में मां दुर्गा नहीं इस असुर की पूजा करते हैं ये लोग

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जशपुर: नवरात्रि के दौरान जहां अधिकांश लोग देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन देश में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां लोग नवरात्रि में महिषासुर की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी और क्या है इसके पीछे की वजह। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के मनौरा विकासखंड में एक अलग ही परंपरा देखने को मिलती है। यहां के लोग खुद को राक्षसराज महिषासुर का वंशज बताते हैं। समुदाय के लोग महिषासुर की पूजा करते हैं और इसे अपने पूर्वज के प्रति श्रद्धांजलि मानते हैं। इतना ही नहीं, वह इस परंपरा को बड़े गर्व के साथ निभाते हैं।

महिषासुर को मानते हैं अपना पूर्वज
समुदाय के लोगों का मानना है कि महिषासुर का वध केवल एक छल था, जिसमें देवी दुर्गा ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर उनके पूर्वज की हत्या की। इस समुदाय के लोगों की जनजाति जशपुर के जरहापाठ, बुर्जुपाठ, हाडिकोन और दौनापठा जैसे स्थानों पर निवास करती है। इसके अलावा, बस्तर के कुछ हिस्सों में भी इस समुदाय के लोग महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं।

मौत का रहता है डर
यह लोग नवरात्रि में दुर्गा पूजा में शामिल नहीं होते हैं। उनके अनुसार, देवी के प्रकोप से उनकी मृत्यु का डर रहता है। वह न केवल देवी की पूजा से दूरी बनाए रखते हैं, बल्कि अपने खेत, खलिहान में महिषासुर को अपना आराध्य देव मानकर उसकी पूजा करते हैं। उनके लिए महिषासुर राजा है, और उसकी मृत्यु पर खुशी मनाना उनके लिए असंभव है।

दीपावली के दिन भैंसासुर की करते हैं पूजा
यह समुदाय दीपावली के दिन भैंसासुर की भी पूजा करता है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि इस जनजाति के लोग नवरात्रि के दौरान किसी भी प्रकार के रीति-रिवाज या परंपरा का पालन नहीं करते हैं। वे अपने पूर्वजों की स्मृति में गहरे शोक में डूबे रहते हैं, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण भावना है। इन लोगों को अपने पूर्वज महिषासुर को लेकर काफी गर्व है और वह उसे अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में मानता है।

राष्ट्रपति को सौंप चुके हैं ज्ञापन
इस समुदाय के लोगों ने मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ महिषासुर की प्रतिमा न लगाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा था। यह कदम उन्होंने इसलिए उठाया था ताकि वह अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रख सकें। इनका मानना है कि महिषासुर की पूजा उनके लिए सम्मान का प्रतीक है। जब नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, तो इस समय महिषासुर के वध की कथा का संदर्भ दिया जाता है, जो इस समुदाय के लिए अपमान का कारण बनता है। इसलिए, उन्होंने यह मांग की थी कि महिषासुर की प्रतिमा को पूजा में शामिल किया जाए ताकि उनकी धार्मिक आस्था का सम्मान हो सके।
sorce -Google_NBT

Anash Raza
Author: Anash Raza

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