रायपुर, 15 जून 2025
छत्तीसगढ़ के लोगों को एक बार फिर बिजली बिल के रूप में तगड़ा झटका लगा है। **बिजली कंपनी ने मई माह के बिल में फिर से एफपीपीएएस (फ्यूल प्राइस एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज)** लागू कर दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को अपने बिजली बिल में 7.32% ज्यादा रकम चुकानी पड़ी है। यह शुल्क अप्रैल महीने की बिजली खपत पर लागू किया गया है।
क्या है एफपीपीएएस?
एफपीपीएएस दरअसल बिजली बनाने और खरीदने की लागत में बदलाव के कारण उपभोक्ताओं से वसूला जाने वाला एक अतिरिक्त चार्ज है। जैसे-जैसे बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कोयला, गैस या अन्य संसाधनों की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे यह शुल्क भी बढ़ जाता है। बिजली कंपनियों का तर्क है कि इससे उन्हें घाटे से बचने में मदद मिलती है।
अप्रैल में क्यों नहीं लिया गया था शुल्क?
अप्रैल 2025 के बिजली बिल में यह शुल्क नहीं जोड़ा गया था। इसकी एक खास वजह थी – एनटीपीसी लारा से खरीदी गई बिजली की जो 1,500 करोड़ रुपये की रकम उपभोक्ताओं से पिछले 6 महीने से वसूली जा रही थी, वह पूरी हो गई थी। इस कारण लोगों को अप्रैल महीने में थोड़ी राहत मिली थी।
लेकिन अब फिर से बिजली उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी होने लगी है। इस वजह से मई के बिल में FPPAS फिर से लागू कर दिया गया है।
हर महीने बढ़ेगा बिजली बिल?
बिजली कंपनी का कहना है कि जैसे ही उत्पादन लागत में अंतर आता है, वैसे ही यह शुल्क ग्राहकों पर लागू हो जाता है। मतलब यह कि आने वाले महीनों में भी यह सरचार्ज जारी रह सकता है। इससे साफ है कि हर महीने बिजली महंगी होती जा रही है, और उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।
पुराने फॉर्मूले की जगह नया नियम
पहले बिजली बिल में वीसीए (वेरिएबल कॉस्ट एडजस्टमेंट) लागू किया जाता था। लेकिन अब कंपनी ने इसकी जगह एफपीपीएएस का फॉर्मूला लागू कर दिया है। यह नया सिस्टम अप्रैल 2023 से लागू है। इसके बाद से उपभोक्ताओं को हर महीने बढ़े हुए बिल का सामना करना पड़ रहा है।
और बढ़ेगा बिजली का टैरिफ?
इतना ही नहीं, बिजली कंपनी ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें बिजली की दरें और बढ़ाने की मांग की गई है। कंपनी ने अनुमान लगाया है कि उसे अगले साल 24,652 करोड़ रुपये की बिजली बेचनी है, जबकि खर्च 23,082 करोड़ रुपये रहेगा। यानी लगभग 1,570 करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है।
लेकिन पिछली अवधि में कंपनी को 6,130 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इस घाटे को देखते हुए अब कंपनी ने टैरिफ बढ़ाने की योजना बनाई है। हालांकि अंतिम निर्णय छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा लिया जाएगा।
आम लोगों पर असर
हर महीने बिजली बिल में लगातार बढ़ोतरी अब आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन चुकी है। मध्यम वर्ग, किरायेदार, छोटे दुकानदार और ग्रामीण उपभोक्ताओं को इसकी मार सबसे ज्यादा झेलनी पड़ रही है। पहले ही महंगाई से लोग परेशान हैं, और अब हर महीने बिजली के बढ़ते बिल ने बजट और बिगाड़ दिया है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ के उपभोक्ताओं के लिए यह स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। एफपीपीएएस जैसे चार्ज लगातार लगने से बिजली अब आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है। आने वाले दिनों में यदि टैरिफ में और इजाफा हुआ तो इसका असर न सिर्फ घरों पर, बल्कि छोटे उद्योग, दुकानों और खेती-किसानी पर भी पड़ेगा।
सरकार और बिजली कंपनी को चाहिए कि वे लागत का सही आकलन करें और आम जनता को राहत देने के उपाय करें।
