छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी ने राज्य सरकार द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण नीति को विद्यार्थी हित के विरुद्ध बताते हुए मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा सचिव और लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि यह नीति सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विषय ज्ञान से वंचित करने का कार्य कर रही है।
फेडरेशन का आरोप है कि सरकारी स्कूलों को बदनाम कर निजीकरण को बढ़ावा देने की साजिश की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कक्षाओं की संख्या और विषय के आधार पर होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में लागू नीति पुरानी 2 अगस्त 2024 की त्रुटिपूर्ण नीति की हूबहू नकल है, जिसमें छात्रों के शैक्षणिक हितों की अनदेखी की गई है।
फेडरेशन का मानना है कि प्राथमिक स्तर पर यदि छात्रों को कक्षावार विषय शिक्षक उपलब्ध नहीं होंगे, तो माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर उनके परीक्षा परिणामों में गिरावट निश्चित है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं और पूरी तरह शाला के शिक्षण पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में केवल दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के भी विपरीत है।
फेडरेशन ने कहा कि नीति बनाते समय यह समझना आवश्यक है कि यदि विद्यार्थियों को प्राथमिक स्तर से भाषा एवं विषयों की स्पष्ट अवधारणा नहीं दी गई तो आगे की पढ़ाई में वे पिछड़ जाएंगे। इस प्रकार की नीति शिक्षा व्यवस्था के अध्ययन-अध्यापन को नुकसान पहुंचाने वाली है।
उन्होंने उदाहरण के साथ बताया कि प्राथमिक शालाओं में कक्षा 1 से 5 तक पाँच कक्षाएँ होती हैं और लगभग चार विषयों का अध्ययन होता है, जिसके लिए कुल 20 पीरियड होते हैं। वर्ष 2008 और 2022 में स्वीकृत सेटअप 1 प्रधानपाठक व 2 सहायक शिक्षक का रहा है, जबकि वर्तमान युक्तियुक्तकरण नीति में केवल 1+1 (एक प्रधानपाठक और एक शिक्षक) किया जा रहा है, जो पूर्णतः अनुचित है।
फेडरेशन ने सवाल उठाया कि पाँच कक्षाओं को केवल दो शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे, जबकि शिक्षकों को गैर-शिक्षकीय कार्य भी करने होते हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा 6 से 8) में तीन कक्षाएं और छह विषय होते हैं, जिनके लिए 18 पीरियड निर्धारित हैं। वर्ष 2008 और 2022 में स्वीकृत सेटअप 1+4 रहा है, लेकिन अब इसे घटाकर 1+3 कर दिया गया है, जो एक विषय शिक्षक की कमी उत्पन्न करता है।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की बात करें तो वहां 11वीं और 12वीं में कुल 32 पीरियड होते हैं, और वर्ष 2008 में संकायवार 1+11 का सेटअप स्वीकृत था, जिसे 2022 में घटाकर 1+9 किया गया। अब दर्ज संख्या के आधार पर पद स्वीकृत किए जा रहे हैं, जिससे विषय अध्यापन की व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
फेडरेशन ने चेताया कि कक्षा-वार और विषय-वार शिक्षक व्यवस्था सुनिश्चित किए बिना केवल दर्ज संख्या को आधार बनाकर शिक्षक घटाना शिक्षा व्यवस्था के लिए आत्मघाती कदम होगा। इससे न केवल वर्तमान व्यवस्था प्रभावित होगी, बल्कि भविष्य में पदोन्नति की प्रक्रिया भी बाधित होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन विद्यालयों में अभी विषयवार शिक्षक उपलब्ध हैं, वहां से भी विषय शिक्षक हटाना छात्र हितों के प्रतिकूल है। अतिशेष गणना में प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक विद्यालय के प्रधानपाठकों को शामिल करना पूरी तरह अनुचित है, क्योंकि पदोन्नति का पद उसके फीडर पद के समकक्ष नहीं माना जा सकता, यह भर्ती नियमों का भी उल्लंघन है।
फेडरेशन ने स्पष्ट किया कि शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थी – तीनों के हितों को ध्यान में रखकर युक्तियुक्तकरण के दोषपूर्ण निर्देशों में सुधार किया जाना चाहिए। 2024 में भी फेडरेशन द्वारा इन्हीं तथ्यों के आधार पर सुधार की मांग की गई थी, लेकिन 2025 की नीति में फिर से इन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है।
अतः फेडरेशन का मत है कि जब तक उपरोक्त तथ्यों पर समुचित निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक इस नीति के क्रियान्वयन पर रोक लगाया जाना छात्रहित और शिक्षण व्यवस्था के लिए उचित होगा।
