रायपुर
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए शिक्षा व्यवस्था के युक्तियुक्तकरण अभियान को लेकर सरकार और शिक्षकों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। एक ओर सरकार इसे शिक्षा व्यवस्था को छात्र-केंद्रित और गुणवत्तापूर्ण बनाने का ठोस कदम मान रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षक संघ इसे विसंगतिपूर्ण और शिक्षकों के हितों के खिलाफ बता रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि युक्तियुक्तकरण का निर्णय राज्य के स्कूलों को नई दिशा देने वाला है। उनके अनुसार जहां छात्र नहीं हैं, वहां शिक्षकों की पदस्थापना उचित नहीं है। शिक्षकों को वहीं होना चाहिए, जहां छात्र हैं। यह शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और प्रभावी बनाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था राज्यभर में शिक्षकविहीन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित करेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव लाएगी।
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 211 स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या शून्य है। इसके विपरीत कई दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में वर्षों से विषयवार शिक्षक नहीं हैं। सरकार का मानना है कि इन विसंगतियों को दूर किए बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिकल्पना संभव नहीं है।
लेकिन दूसरी ओर, शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ ने इस युक्तियुक्तकरण को विसंगतिपूर्ण बताते हुए सरकार के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। आज राजधानी रायपुर में आयोजित एक दिवसीय हड़ताल के दौरान शिक्षकों ने मंत्रालय का घेराव किया और सरकार से चार सूत्रीय मांगों पर तत्काल निर्णय लेने की मांग की। शिक्षक प्रतिनिधिमंडल की स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी से हुई वार्ता विफल रही।
शिक्षक संघ ने सरकार को दो दिनों का अल्टीमेटम दिया है। यदि सरकार ने इस अवधि में निर्णय नहीं लिया, तो 31 मई से संभाग स्तरीय क्रमिक अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। शिक्षक संघ का कहना है कि युक्तियुक्तकरण में शिक्षकों के हितों की अनदेखी हो रही है। इससे न सिर्फ शिक्षकों के रोजगार की असुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि कई शिक्षकों को दूरस्थ स्थानों पर तबादला झेलना पड़ेगा।
संघ की चिंता
संघ के प्रदेश संयोजक मनीष मिश्रा ने कहा कि सरकार ने बिना शिक्षकों की राय लिए यह निर्णय लिया है। इससे शिक्षक समाज में असंतोष व्याप्त हो गया है। उनका कहना है कि युक्तियुक्तकरण को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए और इसमें शिक्षकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
सरकार की सफाई
शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने स्पष्ट किया कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य केवल छात्रों के हित में स्कूलों का पुनर्संगठन करना है। सरकार शिक्षकों की बात सुनने को तैयार है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लागू किए जाएंगे और कोई भी शिक्षक जबरदस्ती प्रताड़ित नहीं होगा।
अब देखना यह होगा कि सरकार शिक्षकों की मांगों पर क्या निर्णय लेती है और 31 मई से प्रस्तावित आंदोलन को कैसे टालती है। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार और शिक्षक संघ के बीच संवाद और समझौते की कोशिशें तेज होंगी या आंदोलन और गहराएगा – यह आने वाला समय बताएगा।
