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August 4, 2025 4:54 am

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भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाले की परतें खुलने लगीं, EOW ने तेज की जांच, 220 करोड़ से अधिक की हेराफेरी का अंदेशा

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत हुए मुआवजा घोटाले की जांच ने अब रफ्तार पकड़ ली है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में सक्रियता से जांच शुरू कर दी है। विभाग ने प्रशासन से लगभग 500 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और मामले से जुड़े कई अहम दस्तावेज भी पहले ही इकट्ठा कर लिए गए हैं। सूत्रों की मानें तो अब तक की जांच में कई ठोस सुराग हाथ लगे हैं, और जल्द ही दोषियों के खिलाफ FIR के साथ गिरफ्तारियों की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।

यह छत्तीसगढ़ में पहली बार है जब किसी भूमि मुआवजा घोटाले की जांच EOW के हाथों सौंपी गई है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई थी कि कुछ सरकारी अधिकारी, भू-माफिया और रसूखदार लोगों ने मिलकर फर्जीवाड़े के जरिए करीब 43 करोड़ रुपये का मुआवजा प्राप्त किया। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह आंकड़ा तेजी से बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गया। जांच एजेंसी के हाथ अब तक लगभग 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का रिकॉर्ड लग चुका है, जो इस घोटाले की व्यापकता को दर्शाता है।घोटाले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत भी मुखर हो गए हैं। उन्होंने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर मामले की जांच CBI से कराने की मांग की है। विधानसभा बजट सत्र 2025 के दौरान भी उन्होंने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। उनके द्वारा की गई पहल के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस मामले की जांच EOW को सौंपे जाने का निर्णय लिया गया।

क्या है भारतमाला परियोजना और कहां हुआ घोटाला?

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक करीब 950 किलोमीटर लंबी फोरलेन सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क भी प्रस्तावित है। सड़क निर्माण के लिए बड़ी संख्या में किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई हैं। नियमों के अनुसार, इन किसानों को जमीन की कीमत के साथ-साथ “सोलेशियम” के रूप में भी बराबर की राशि दी जानी है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत 5 लाख की जमीन पर कुल 20 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है।लेकिन इस नियम का लाभ असली किसानों के बजाय फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुछ प्रभावशाली लोगों ने उठा लिया। ईओडब्ल्यू की जांच में यह खुलासा हुआ है कि एक ही जमीन को कई बार अधिग्रहण दिखाकर मोटा मुआवजा लिया गया या सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर जमीन की कीमत बढ़ाकर भुगतान हासिल किया गया।

प्रशासन पर भी उठे सवाल

मुआवजा घोटाले में जिन अधिकारियों की संलिप्तता की बात सामने आ रही है, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। जांच एजेंसी ने अब तक जिन दस्तावेजों की गहन पड़ताल की है, उनमें कई सरकारी कार्यालयों की फाइलें, भूमि रिकॉर्ड, भुगतान की रसीदें और बैंक ट्रांजैक्शन शामिल हैं।ईओडब्ल्यू का कहना है कि मामले की तह तक पहुंचने के लिए अब फील्ड स्तर पर पूछताछ और ज़मीन के मूल दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन शुरू किया जाएगा।

अगले कुछ दिन अहम

अब इस घोटाले की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। ईओडब्ल्यू जल्द ही इस घोटाले में शामिल अधिकारियों, दलालों और भू-माफिया के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई कर सकती है। जिस तरह से मामले ने राजनीतिक रंग लिया है, उस पर राज्यभर की नज़रें टिकी हुई हैं।यह मामला न केवल एक आर्थिक अपराध है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि कैसे जनहित की योजनाएं भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ़ जाती हैं और ज़रूरतमंद किसान आज भी अपने जायज मुआवज़े के लिए भटकते रह जाते हैं।

Anash Raza
Author: Anash Raza

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