झारखंड की जनता के लिए मई की शुरुआत महंगी हो गई है। झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (JSERC) ने बुधवार को राज्य में बिजली दरों में औसतन 6.34% की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह बढ़ी हुई दरें 1 मई से प्रभावी हो गई हैं। हालांकि यह इजाफा पहले प्रस्तावित 40.02% वृद्धि के मुकाबले काफी कम है, लेकिन फिर भी आम लोगों के बजट पर असर डालने वाला है।
अब ग्रामीणों को ₹6.70, शहरी उपभोक्ताओं को ₹6.85 प्रति यूनिट चुकाने होंगे
नई दरों के मुताबिक, ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं को अब ₹6.70 प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल चुकाना होगा, जो पहले ₹6.30 थी। वहीं शहरी उपभोक्ताओं के लिए दर ₹6.65 से बढ़कर ₹6.85 प्रति यूनिट हो गई है।
यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर उन उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी जो झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) से नियमित बिजली सेवा लेते हैं और सरकार की मुफ्त बिजली योजना से बाहर हैं।
40 लाख उपभोक्ताओं को राहत, मुफ्त बिजली योजना यथावत
हालांकि, इस मूल्यवृद्धि के बीच सरकार की 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली योजना के लाभार्थियों को राहत दी गई है। यह बढ़ी हुई दरें उन करीब 40 लाख घरेलू उपभोक्ताओं पर लागू नहीं होंगी, जो इस योजना के अंतर्गत आते हैं। राज्य में कुल 46 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनमें से बड़ी संख्या सरकार की इस योजना का लाभ उठा रही है।
आयोग ने ठुकराया भारी भरकम प्रस्ताव
गौरतलब है कि JBVNL ने बिजली दरों में 40.02% की भारी वृद्धि का प्रस्ताव आयोग के समक्ष रखा था। लेकिन आयोग ने सभी आंकड़ों और सामाजिक प्रभावों का गहन अध्ययन करने के बाद केवल 6.34% वृद्धि को ही मंजूरी दी। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और आयोग आम जनता पर एकमुश्त बोझ डालने से बचना चाह रहे हैं।
आमजन पर असर तय, लेकिन राहत की गुंजाइश भी
बिजली की दरों में यह बढ़ोतरी निश्चित रूप से मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास परिवारों की जेब पर असर डालेगी, खासकर उन लोगों पर जो मुफ्त बिजली योजना की पात्रता से बाहर हैं। वहीं आयोग के संयमित फैसले से यह भी उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में बिजली वितरण की गुणवत्ता बेहतर हो और ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की दिशा में राज्य ठोस कदम उठाए।
