छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा से लगे घने जंगलों में भारत सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा और संगठित अभियान शुरू कर दिया है। यह ऐतिहासिक ऑपरेशन बस्तर क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में चलाया जा रहा है, जहां देश के सबसे ख़तरनाक और मोस्ट वांटेड नक्सली नेताओं के साथ करीब एक हजार से अधिक नक्सली सक्रिय हैं।
इस अभियान में बस्तर के बहादुर डीआरजी, एसटीएफ, सीआरपीएफ, कोबरा कमांडो, बस्तर फाइटर, महाराष्ट्र की सी60 कमांडो यूनिट, आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड्स फोर्स और भारतीय वायु सेना के जवान शामिल हैं। वायु सेना की रणनीतिक सहायता से इस ऑपरेशन को हवाई ताकत भी मिली है, जिससे दुर्गम जंगलों में जवानों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है और ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है।
ऑपरेशन का मुख्य क्षेत्र सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जैसे जिले हैं, जो तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाओं से सटे हैं और लंबे समय से नक्सल गतिविधियों के लिए बदनाम रहे हैं। इस बार की रणनीति न केवल मुठभेड़ तक सीमित है, बल्कि इसका उद्देश्य वर्षों से जंगलों में छिपे बड़े नक्सली कमांडरों को घेरकर खत्म करना है।
सूत्रों की मानें तो इस ऑपरेशन में हिडमा, सुधाकर, मोहन, सतीश, मदवी हिडमा जैसे वांछित नक्सली नेताओं की घेराबंदी की जा चुकी है। ये सभी नेता सुरक्षा बलों पर हमलों, ग्रामीणों की हत्याओं और दहशत फैलाने जैसी घटनाओं के लिए लंबे समय से जिम्मेदार रहे हैं।
ऑपरेशन को बेहद गोपनीय ढंग से अंजाम दिया जा रहा है। अब तक कई नक्सली शिविरों को ध्वस्त किया गया है और बड़ी मात्रा में हथियार, विस्फोटक सामग्री और नक्सली दस्तावेज बरामद हुए हैं। स्थानीय खुफिया नेटवर्क और विशेष तकनीकी सहायता के ज़रिए सुरक्षाबलों को लगातार इनपुट मिल रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार इस ऑपरेशन की सीधी निगरानी कर रहे हैं। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि स्थानीय ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। प्रभावित इलाकों में हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं और जरूरतमंदों के लिए मेडिकल सुविधाएं और राहत शिविर भी तैयार रखे गए हैं।
यह अभियान केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि नक्सलवाद की रीढ़ तोड़ने की निर्णायक मुहिम बनकर सामने आया है। इसकी सफलता बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा को एक नई दिशा दे सकती है।
