Explore

Search

July 24, 2025 11:02 pm

LATEST NEWS
Lifestyle

किंगडम ऑफ दीक्षित : एक भारतीय युवक ने की नए देश की खोज, खुद को घोषित किया ‘राजा’, बसाया अपना देश

Facebook
Twitter
WhatsApp
Email

नई दिल्ली। क्या कोई व्यक्ति खुद को एक देश का राजा घोषित कर सकता है? यह सवाल सुनने में भले ही फिल्मी लगे, लेकिन इसकी हकीकत बेहद चौंकाने वाली है। भारतीय युवक सुयश दीक्षित ने खुद को एक नए देश ‘किंगडम ऑफ दीक्षित’ का राजा घोषित कर दिया है और उनका दावा है कि यह देश अफ्रीका के उस भूभाग पर स्थित है जिसे आज तक किसी भी देश ने अपनी सीमा में शामिल नहीं किया।

यह अनोखा इलाका अफ्रीका में मिस्र और सूडान की सीमा के बीच स्थित है। इसे बिर तवील कहा जाता है। यह लगभग आठ सौ वर्ग मील क्षेत्र में फैला एक रेगिस्तानी भूभाग है, जिस पर कोई भी देश अधिकार नहीं जताता। यह इलाका दशकों से भू-राजनीतिक उलझनों के कारण विवादित बना रहा है। मिस्र और सूडान दोनों ही इसे अपनाने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से ‘टेरा नुलियस’ यानी ‘किसी की भूमि नहीं’ की श्रेणी में आता है।

सुयश दीक्षित ने वर्ष 2017 में एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से घोषणा की कि उन्होंने करीब तीन सौ उन्नीस किलोमीटर की कठिन यात्रा तय की और उस भूमि पर पहुँचकर झंडा फहराया। इसके साथ उन्होंने बीज बोया, उसे पानी दिया और इस क्रिया को अपने भूमि स्वामित्व की प्रतीकात्मक घोषणा बताया। उन्होंने लिखा कि वे इस जमीन को किंगडम ऑफ दीक्षित घोषित करते हैं, वे इसके राजा हैं और उनके पिता इस देश के राष्ट्रपति होंगे।

सुयश ने अपनी घोषणा के साथ एक वेबसाइट भी लॉन्च की है जिसका नाम है kingdomofdixit.gov.best। इस वेबसाइट पर लोगों को इस ‘नए देश’ की नागरिकता के लिए आवेदन करने का विकल्प भी दिया गया है। वेबसाइट पर देश का झंडा, प्रतीक चिह्न, संविधान और अन्य जानकारी भी प्रकाशित की गई है।

बिर तवील का यह इलाका पूरी तरह से रेगिस्तानी है और वहां कोई जनसंख्या नहीं रहती। राजनीतिक विवादों के कारण इसे किसी भी देश ने अपने आधिकारिक नक्शे में शामिल नहीं किया है। यही कारण है कि यह इलाका अब तक कानूनी रूप से किसी देश का हिस्सा नहीं माना गया है।

हालांकि सुयश दीक्षित का यह दावा सुनने में साहसी और रचनात्मक प्रतीत होता है, लेकिन कानून के नजरिए से यह वैध नहीं माना जा सकता। किसी भी क्षेत्र को एक स्वतंत्र देश का दर्जा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कुछ आवश्यक शर्तें निर्धारित हैं। इनमें स्थायी जनसंख्या, स्पष्ट और परिभाषित सीमाएं, एक स्वतंत्र और स्थिर सरकार तथा अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने की क्षमता शामिल है।

किंगडम ऑफ दीक्षित इन शर्तों में से किसी को भी पूरा नहीं करता, इसलिए उसे आज की तारीख में किसी भी स्तर पर वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है। सिर्फ झंडा गाड़ने और घोषणा करने से कोई भी व्यक्ति किसी भूभाग को अपना देश घोषित नहीं कर सकता।

सुयश की यह घोषणा इंटरनेट पर बेहद चर्चा में आ गई। सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इसे शेयर किया। कुछ लोगों ने इसे कल्पनाशीलता और साहसिक सोच का उदाहरण बताया तो कुछ ने इसे एक मजाक या प्रचार अभियान करार दिया। कई उपयोगकर्ताओं ने मजाक में ही सही, इस देश की नागरिकता के लिए आवेदन भी किया।

यद्यपि किंगडम ऑफ दीक्षित को कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है, लेकिन यह पहल एक युवा के साहस और कल्पनाशीलता का प्रतीक बन गई है। इस कहानी ने यह दिखाया है कि आज के डिजिटल युग में एक व्यक्ति कैसे सोशल मीडिया की मदद से पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर सकता है।

यह एक असली कहानी है जो यह साबित करती है कि सपने देखने की कोई सीमा नहीं होती, चाहे वो सपना एक नया देश बनाने का ही क्यों न हो।

Anash Raza
Author: Anash Raza

Leave a Comment