रायपुर।
राज्य में शिक्षकों का आक्रोश एक बार फिर उभरकर सामने आ गया है। स्कूलों में बच्चों के अध्यापन को बेहतर और व्यवस्थित करने के नाम पर सरकार द्वारा लागू किए जा रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalization) के खिलाफ शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। इस मुद्दे को लेकर सर्व शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ ने आज मंत्रालय का घेराव करने का एलान किया है।
संगठन का कहना है कि वर्ष 2008 के सेटअप में बदलाव और युक्तियुक्तकरण की मौजूदा प्रक्रिया शिक्षकों के हितों के खिलाफ है। शिक्षक संघों का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण की इस प्रक्रिया से शिक्षकों को न केवल अपनी जगह बदलनी पड़ रही है, बल्कि इससे उनकी पारिवारिक और सामाजिक स्थिरता भी प्रभावित हो रही है।
2008 के सेटअप में बदलाव पर शिक्षक नाराज
शिक्षक संगठनों ने साफ तौर पर कहा है कि 2008 के सेटअप में किसी भी बदलाव को वे स्वीकार नहीं करेंगे। उनका मानना है कि इस सेटअप को हटाने से शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और विद्यालयों की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
शिक्षकों की मांगें
शिक्षक संघों की प्रमुख मांग यह है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए। साथ ही, जो बदलाव 2008 के सेटअप में प्रस्तावित किए जा रहे हैं, उन्हें वापस लिया जाए। इसके अलावा शिक्षकों ने सरकार से बातचीत कर इस मामले का हल निकालने की भी अपील की है।
सर्व शिक्षक संघ का आह्वान
आज के इस प्रदर्शन को लेकर सर्व शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि “सरकार शिक्षकों के भविष्य और विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर मनमानी फैसले कर रही है। इससे शिक्षकों का मनोबल टूट रहा है। जब तक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जाता, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”
शांति व्यवस्था को लेकर पुलिस की तैयारी
उधर, मंत्रालय घेराव की चेतावनी के चलते पुलिस-प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। मंत्रालय के आसपास सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
सरकार की दलील
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, युक्तियुक्तकरण का मकसद विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या और कार्यभार का संतुलन बनाना है। इससे पढ़ाई के स्तर में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, शिक्षक संगठनों का मानना है कि इसके क्रियान्वयन में शिक्षकों की राय को नजरअंदाज किया गया है।
अंतिम परिणाम का इंतजार
शिक्षक संघों के मंत्रालय घेराव के इस बड़े आंदोलन पर सभी की नजरें टिकी हैं। देखना होगा कि सरकार इस मांग को मानती है या नहीं, और क्या इस आंदोलन से कोई सकारात्मक समाधान निकलता है या नहीं।
