छत्तीसगढ़ के न शिक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक सामने आई है। यहाँ कक्षा पाँचवीं और आठवीं के हजारों छात्र अब तक अपनी परीक्षा की मार्कशीट पाने के लिए स्कूलों के चक्कर लगा रहे हैं। इस देरी से छात्रों का नामांकन, पूरक परीक्षा में भागीदारी और अब आगामी शाला प्रवेश अभियान तीनों पर संकट गहराता जा रहा है।
शाला प्रवेश अभियान की उलटी गिनती शुरू हो गईं है, पर हाथ में नहीं है पिछली कक्षा की पहचान
राज्य सरकार द्वारा शाला प्रवेश उत्सव की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। जून के मध्य से यह अभियान प्रारंभ होगा जिसमें बच्चों का नामांकन, स्थानांतरण और शैक्षणिक मूल्यांकन के आधार पर दाखिले की प्रक्रिया चलती है। लेकिन बिना मार्कशीट के छात्र अपनी अगली कक्षा में नामांकन कैसे करें — यह बड़ा सवाल बन गया है। कई स्कूलों ने तो प्रवेश प्रक्रिया में छात्रों से पिछली कक्षा का प्रमाण पत्र (मार्कशीट) अनिवार्य रूप से माँगा है।
पूरक परीक्षा भी शुरू, लेकिन कई छात्र अंधेरे में
राज्य शिक्षा विभाग द्वारा 4 जून से पूरक परीक्षाएं शुरू कर दी गई हैं, लेकिन छात्रों को यह तक नहीं पता कि वे पास हैं या पूरक की श्रेणी में। वजह स्पष्ट है — उन्हें अब तक कोई अंकतालिका सौंपी नहीं गई है। इससे छात्र असमंजस की स्थिति में हैं और शिक्षक भी उन्हें उचित दिशा नहीं दे पा रहे।
निजी स्कूलों ने रोक दिया नामांकन
कुछ निजी विद्यालयों ने स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि जब तक छात्र अपनी पिछली कक्षा की मूल मार्कशीट प्रस्तुत नहीं करेंगे, उन्हें अगली कक्षा में प्रवेश नहीं मिलेगा। इस कारण कई छात्रों का नामांकन फिलहाल रोक दिया गया है। अभिभावक हैरान-परेशान होकर ब्लॉक और जिला शिक्षा अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं।
शिक्षकों की मजबूरी:
बिना अधिकार के क्या करें
अधिकतर शिक्षक कह रहे हैं कि परिणाम घोषित करने के बाद उन्होंने बच्चों की अनंतिम सूची तैयार कर ली थी लेकिन मूल अंकतालिका राज्य स्तर से अभी तक नहीं आई है। शिक्षक भी असहाय महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनका इस प्रक्रिया पर कोई नियंत्रण नहीं है।
शिक्षा विभाग की सफाई
शिक्षा विभाग का कहना है कि मार्कशीट की छपाई और वितरण राज्य स्तर से हो रहा है। कुछ तकनीकी कारणों और छपाई में हुई देरी के चलते अंकसूचियाँ स्कूलों तक नहीं पहुँच पाई हैं। अधिकारियों ने दावा किया है कि इस सप्ताह के भीतर मार्कशीट वितरण प्रारंभ कर दिया जाएगा।
बच्चों का भविष्य न बने अनिश्चित
छात्रों और अभिभावकों की माँग है कि शिक्षा विभाग इस प्रक्रिया में शीघ्रता लाए और छात्रों को समय पर दस्तावेज उपलब्ध कराए ताकि शाला प्रवेश अभियान सफलतापूर्वक संचालित हो सके। साथ ही भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही से बचने के लिए स्थायी समाधान तैयार किया जाए।
