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July 23, 2025 10:57 am

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पोंगल पर्व पर गुड़, दूध, गन्ना, चावल और दाल का खास महत्व, इसी दिन से तमिल नववर्ष की होती है शुरुआत

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पोंगल मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है. इस पर्व पर गुड़, दूध, गन्ना, चावल और दाल का खास महत्व है.

लोग इस मौके पर अपने-अपने घरों को सजाते हैं, पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और इस दिन जानवरों की भी विशेष पूजा का विधान है. इस साल Pongal का त्योहार 15 जनवरी से लेकर 18 जनवरी तक मनाया जाएगा.

Pongal का महत्व

पोंगल के त्योहार का इतिहास करीब 2000 साल पुराना बताया जाता है. यह त्योहार तमिल महीने ‘तइ’ की पहली तारीख से शुरू होता है. इस त्योहार में इंद्र देव और सूर्य की उपासना की जाती है. पोंगल का त्योहार संपन्नता को समर्पित है. पोंगल में समृद्धि के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित चीजों की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन किसान प्रकृति का आभार प्रकट करने के लिए इंद्र, सूर्य, गाय और बैलों की पूजा करते हैं.

4 दिन क्यों है खास?

पोंगल का त्योहार तमिलनाडु में पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. 4 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के पहले दिन को ‘भोगी पोंगल’ कहते हैं, दूसरे दिन को ‘सूर्य पोंगल’, तीसरे दिन को ‘मट्टू पोंगल’ और चौथे दिन को ‘कन्नम पोंगल’ कहते हैं. पोंगल के हर दिन अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है.

कैसे मनाया जाता है Pongal ?

पोंगल मुख्य रूप से सूर्य की उपासना का त्योहार है. पोंगल के पहले दिन लोग सुबह स्नादि के बाद नए वस्त्र पहनते हैं. नए बर्तन में दूध, चावल, काजू और गुड़ की चीजों से पोंगल का प्रसाद बनाते हैं. फिर इस प्रसाद से सूर्य देव को भोग लगाते हैं. पूजा के बाद लोग एक दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं.चूंकि गाय-बैलों के बिना खेती-बाड़ी अधूरी है, इसलिए पोंगल के त्योहार पर इनकी भी पूजा की जाती है. किसान इस दिन अपनी बैलों को स्नान कराकर उन्हें सजाते हैं. इस दिन घर में पड़ी पुरानी और खराब वस्तुओं की होली भी जलाई जाती है और नई वस्तुओं को घर लाया जाता है. कई लोग पोंगल के पर्व से पहले अपने घरों को खासतौर पर सजाते हैं.

Faizan Ashraf
Author: Faizan Ashraf

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