रायपुर। छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल लगातार जारी है। प्रदेशभर के पंचायत सचिव 18 मार्च से ब्लॉक स्तर पर कार्य बंद कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सचिवों का कहना है कि जब तक उनकी शासकीयकरण की मांग पूरी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
पंचायत सचिवों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने शासकीयकरण को आवश्यक बताते हुए भरोसा दिलाया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सरकार ने समिति गठित कर शासकीयकरण की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का वादा किया था, लेकिन अब तक बजट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसी के विरोध में पंचायत सचिवों ने 17 मार्च को रायपुर में विधानसभा का घेराव किया था। इसके बाद 18 मार्च से प्रदेशभर में ब्लॉक स्तर पर हड़ताल शुरू कर दी गई है, जो लगातार जारी है।
पंचायत सचिवों की हड़ताल से प्रदेशभर में पंचायतों का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए नहीं जा रहे हैं, जिससे नागरिकों को परेशानी हो रही है। पेंशन वितरण और राशन कार्ड संबंधी कार्य बाधित हो गए हैं, जिससे जरूरतमंदों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जाति, निवास और अन्य प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण विद्यार्थियों और नौकरी के इच्छुक युवाओं को भी दिक्कतें हो रही हैं। नव निर्वाचित पंचायत जनप्रतिनिधियों को पंचायतों की आवश्यक जानकारी नहीं मिल पा रही है, जिससे वे अपने कार्यों को सुचारू रूप से संचालित नहीं कर पा रहे हैं।
धरने पर बैठे पंचायत सचिवों ने साफ कहा है कि यदि सरकार जल्द कोई फैसला नहीं लेती है, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। पंचायत सचिव संगठन की ओर से आगे की रणनीति तैयार की जा रही है, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके। अब तक सरकार ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, जिससे पंचायत सचिवों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह हड़ताल पूरे प्रशासनिक तंत्र को प्रभावित कर सकती है।
छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों का यह आंदोलन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है।







