रायपुर //
राजधानी के मोतीबाग प्रेस क्लब में आज शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के अफसरों पर गंभीर भ्रष्टाचार और मनमानी का आरोप लगाया। मंच के 23 प्रमुख संयोजकों ने युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया को प्रदेश के लाखों छात्रों और हजारों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ करार देते हुए कहा कि यह केवल मानसिक प्रताड़ना नहीं बल्कि सुनियोजित प्रशासनिक धोखा है।
क्या कहा साझा मंच ने?
शिक्षक साझा मंच के नेताओं – मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी समेत अन्य संयोजकों ने एक घंटे तक सरकार के खिलाफ खुलकर आक्रोश जताया। उन्होंने कहा:
युक्तियुक्तिकरण एक झूठ का पुलिंदा है जिसे शिक्षा विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गुमराह कर लागू कर रहे हैं।
किसी भी जिले में अतिशेष शिक्षकों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई और दावा-आपत्ति का कोई अवसर नहीं मिला।
आधी रात में सूची जारी करना, पुलिस बल के दबाव में काउंसलिंग कराना – यह सब लोकतंत्र के खिलाफ है।
कई शिक्षक विदेश यात्रा पर हैं, फिर भी उनका काउंसलिंग व जॉइनिंग कर दी गई।
चहेते शिक्षकों को मनमाफिक स्थान मिला, जबकि बाकी को दूर-दराज क्षेत्रों में जबरन भेजा गया।
घटाए गए शिक्षक, घटाई गई गुणवत्ता
मंच ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर प्राथमिक स्कूलों से शिक्षक हटा रही है। कई स्कूल बंद हुए, कई मर्ज कर दिए गए और 50,000 से अधिक पदों को स्थायी रूप से खत्म कर दिया गया। इससे शिक्षा की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
क्या चाहते हैं शिक्षक?
साझा मंच ने स्पष्ट किया कि वे युक्तियुक्तिकरण के विरोध में नहीं हैं, बल्कि चाहते हैं कि 2008 का सेटअप पुनः लागू हो। उसी आधार पर स्थानांतरण हो और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
आंदोलन का ऐलान
यदि सरकार ने युक्तियुक्तिकरण को तत्काल प्रभाव से रद्द नहीं किया:
10 जून को सभी जिलों में रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन
13 जून को सभी संभाग मुख्यालयों में रैली व ज्ञापन
16 जून से संपूर्ण शाला बहिष्कार आंदोलन शुरू किया जाएगा
शिक्षक साझा मंच का आरोप शिक्षा विभाग पर एक कड़ी चुनौती है। यदि सरकार समय रहते संवाद नहीं करती, तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी असंतोष का रूप ले सकता है।
