रायपुर //-
न्यायालय में जाकेश साहू की बड़ी जीत का “छत्तीसगढ़ शिक्षक साझा मंच” ने स्वागत किया है। साझा मंच के प्रदेश संचालक केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी एवं शंकर साहू ने कहा है कि जाकेश साहू एक होनहार, कर्तव्यनिष्ठ और समाज सेवी शिक्षक है।
जाकेश साहू एक सर्वमान्य शिक्षक नेता
वे विगत 20 वर्षों से लगातार विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से कर्मचारियों के हर छोटे बड़े मुद्दों को उचित मंचों पर उठाते रहता है। प्रदेश के विभिन्न ब्लाकों और जिलों के शिक्षकों के रुके हुए, वेतन मेडिकल अवकाश, निलंबन बहाली, न्यायालयीन मामले तथा व्यक्तिगत व सामूहिक समस्याओं से लेकर 2013 के पुनरीक्षित वेतनमान आंदोलन में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।
2017-18 के संविलीयन आंदोलन में उन्होंने एक बड़ी लड़ाई प्रदेश के साथियों के साथ मिलकर लड़ी। आवश्यकता पढ़ने पर कई बार निलंबित हुए, जेल भी गए। लेकिन शिक्षक साथियों के लिए सरकार से लड़ने में कभी पीछे नहीं हटे।
“शिक्षक साझा मंच” के प्रदेश संचालकगण भूपेंद्र बनाफर, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे, अनिल कुमार टोप्पो आदि ने कहा है कि जाकेश साहू पूरे प्रदेशभर में संघर्ष की एक मिसाल है। सन 2015 में राजनांदगांव जिले में शिक्षक से व्याख्याता पदों पर पदोन्नति हुई तब जिला पंचायत में 96 शिक्षकों को उचित जगह नहीं दिखाया जा रहा था।
उन्हें सिर्फ मानपुर मोहला भेजा जा रहा था। जब इस बात की पता जाकेश साहू को चली तो वे उनके लिए लड़ाई लड़े और सभी को उचित जगह दिलवाएं। बाद में उन्हें निलंबित किया गया और उनके विरुद्ध विभागगीय जांच बिठाया गया। उन्हें प्रताड़ित किया गया। लेकिन वे सभी आरोपों से मुक्त हुए और न्यायालय से दोष मुक्त हुए।
2022 में कवर्धा के ट्रांसफर हुए शिक्षकों की रिलीविंग एवं शिक्षकों के स्थानांतरण हेतु लगे प्रतिबंध को खोलने के लिए तथा 2021 स्थानांतरित शिक्षकों के पदोन्नति के लिए राजधानी में आंदोलन और हड़ताल किए थे।
दस लाख का मानहानि का केस खारिज होना शिक्षक नेता की जीत
जाकेश साहू के विरुद्ध न्यायालय में दस लाख रुपए का मानहानि का दावा पूर्व विधायक द्वारा किया गया, उन्हें अपने वकील से कानूनी लीगल नोटिस भेजा गया।स्थानीय पूर्व विधायक छन्नी साहू एवं उनके पति चंदू साहू द्वारा शिक्षक नेता जाकेश साहू के प्रति दुर्भावना एवं द्वेष रखकर कार्य किया गया। उन्हें घर बुलाकर डराया धमकाया गया। शिक्षक संघ, समाज सेवा तथा जनहित की राजनीति छोड़ देने सहित सोशल मीडिया में विचार अभिव्यक्ति को बंद करने की धमकी दी गई। साथ ही बर्खास्त कर जेल भेज देने की बात कहते हुए उन्हें डराया धमकाया गया।उन्हें काफी ज्यादा परेशान करने की असफल कोशिश किया गया। यहां तक कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर उन्हें दो दिन तक पुलिस अभिरक्षा में भी रखा गया था। लेकिन जाकेश साहू इन नेताओं से न डरे, न घबराए, न ही शिक्षक हित में कार्य करने से कभी पीछे हटे। वे हमेशा आम शिक्षक साथियों की सेवा में जुटे रहे।
न्यायालय ने पुलिस थाना चौकी के थाना प्रभारी से पूरे मामले की गहन छानबीन करवाई। छन्नी साहू ने अपने दो गवाहों से न्यायालय में अपने पक्ष और जाकेश साहू के विरुद्ध बयान दिलवाई। अनेक सारे दस्तावेज सबूत के तौर पे दिए गए।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बातों, तथ्यों और दलीलों को सुना। सारे दस्तावेजों का परीक्षण किया और अंत में इस नतीजे पर पहुंचा कि इस मामले में जाकेश साहू की बड़ी जीत हुई। छन्नी साहू द्वारा लगाया गया महानहानि का दावा कोर्ट में पूरी तरह खारिज कर दिया। उनके सारे सबूत कोर्ट में झूठे सारे हुए। सारे दस्तावेज असत्य घोषित हुए व तास के पत्तों की तरह बिखर गए।
प्रदेश में 1,80,000 शिक्षकों का नेतृत्व करने वाली राज्य के सबसे बड़े शिक्षक मोर्चा “शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़” ने इस पूरे मामले में न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि हम न्यायपालिका के फैसले का सम्मान करते है। तथा न्यायालय का यह फैसला प्रदेश के समस्त शिक्षकों के लिए एक नजीर है।
कोई भी व्यक्ति, चाहे नेता हो, अधिकारी हो या कितना भी बड़ा बलशाली, पद और पैसा वाला हो वह सत्य के सामने टिक नहीं सकता। पूर्व विधायक छन्नी साहू का न्यायालय में हार जाना इसका प्रमाण है, यह हमारे शिक्षक समाज के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जाकेश साहू को शिक्षक साझा मंच ने उनके कर्तव्य, लगन और शिक्षक हित में किए जा रहे कार्यों के लिए उनके सत्य निष्ठा व लगनशीलता की तारीफ करते हुए उनकी भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं व बधाइयां दी है।
