छत्तीसगढ़ शासन के आदिम जाति विकास विभाग ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 के पहले राज्य के सभी आश्रम-छात्रावासों की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणी बोरा ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों, परियोजना प्रशासकों और सहायक आयुक्तों को पत्र लिखकर आवश्यक तैयारियां शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
प्रमुख सचिव ने कहा है कि राज्य में संचालित आश्रम-छात्रावास केवल निवास स्थल नहीं, बल्कि अनुशासन और शिक्षा का केंद्र हैं। यहां आदिवासी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और कमजोर वर्ग के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन संस्थानों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षणिक योजनाएं संचालित हैं, जिनके बेहतर क्रियान्वयन के लिए आश्रम-छात्रावासों की व्यवस्था सुदृढ़ करना आवश्यक है।
उन्होंने निर्देशित किया है कि प्रवेश प्रक्रिया तय मापदंडों और तिथियों के अनुरूप पूर्ण की जाए। कन्या छात्रावासों में महिला सुरक्षा और आवश्यक सुविधा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए। पत्र में कहा गया है कि कई छात्रावासों से चर्म रोगों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसका एक बड़ा कारण बिस्तर और कपड़ों की नियमित सफाई न होना है। इसे देखते हुए सभी गद्दे, चादरें, कपड़े और कमरों की नियमित सफाई की जाए। बच्चों के नाखून और बाल समय-समय पर कटवाए जाएं। परिसर की पूरी स्वच्छता सुनिश्चित की जाए ताकि विद्यार्थियों को स्वच्छ और सकारात्मक शैक्षणिक वातावरण मिल सके।
प्रमुख सचिव ने कहा कि जिन भवनों की छतें जर्जर हैं, उनका बारिश से पहले मरम्मत कार्य अनिवार्य रूप से पूरा किया जाए। शौचालय, स्नानागार, विद्युत उपकरण और रंगरोगन का कार्य भी सत्र शुरू होने से पूर्व पूर्ण हो जाना चाहिए। आंतरिक दीवारों पर जानकारी और प्रेरक संदेश भी अंकित किए जाएं।
सभी छात्रावासों में निवासरत विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिष्यवृत्ति की प्रक्रिया भी निर्धारित समय में पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। छात्रवृत्ति और शिष्यवृत्ति का नवीनीकरण 30 मई तक और पहली किश्त का भुगतान 10 जून तक किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
प्रमुख सचिव ने कहा कि प्रत्येक छात्रावास में अधीक्षक और चौकीदार की अनिवार्य निवास व्यवस्था होनी चाहिए। बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित किया जाए। विद्यार्थियों को नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक किया जाए। उनका समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए।
छात्रावास परिसर में बागवानी विकसित की जाए और वृक्षारोपण सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक माह निगरानी समिति की बैठक और पालक-विद्यार्थी सम्मेलन आयोजित किया जाए। कन्या छात्रावासों की निगरानी विशेष रूप से की जाए और वहां के कर्मचारियों के आचरण पर सतत निगरानी रखी जाए।
सहायक आयुक्त, सहायक संचालक, क्षेत्रीय संयोजक और मंडल संयोजकों को प्रतिमाह अपने क्षेत्र के सभी छात्रावासों का निरीक्षण अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग ने इन छात्रावासों को आदर्श छात्रावास के रूप में विकसित करने का आह्वान किया है।
