छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा चलाये जा रहे अभियान युक्तियुक्तकरण का छत्तीसगढ़ के 23 संगठनाें ने एक साथ एक सुर में विरोध किया है, 2008 सेटअप काे रखते हुए युक्तियुक्तकरण करने की मांग काे लेकर पिछले 28 मई काे ऐतिहासिक एकदिवसीय आंदोलन नया रायपुर के धरना स्थल तुता में किया गया जिसमें युक्तियुक्तकरण के विरोध में लगभग 12 हजार शिक्षक साथियों नें हिस्सा लिया आंदोलन काे सफल बनाया, आंदोलन के तहत चरणबद्ध आंदोलन के तहत युक्तियुक्तकरण में अब जिला स्तर पर विरोध किया जा रहा है, काऊंसिलिंग के पहले दावा आपत्ति का भी माैका नही दिया गया, जिसका विरोध किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ व्याख्याता वाणिज्य विकास संघ के प्रदेश अध्यक्ष का नाम युक्तियुक्तकरण की अतिशेष सूची में
खबरगाथा से चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ के शैक्षिक संगठन छत्तीसगढ़ व्याख्याता वाणिज्य विकास संघ के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु प्रसाद साहू ने बताया कि उनका नाम दुर्ग जिले में जारी अति शेष सूची में आया है, सूची में पंजीयन,संगठन के कॉलम में पदाधिकारी का भी जिक्र नही किया गया है, जबकि विष्णु प्रसाद साहू छत्तीसगढ़ व्याख्याता वाणिज्य विकास संघ प्रदेश अध्यक्ष है, जिसका लगातार मिडिया एवं शिक्षक संगठनाें जिक्र हाेते रहा है, शासन काे गंभीरता से लेना चाहिए, संगठन लगातार सक्रिय है आंदोलन एवं शिक्षक हित में सदैव तत्पर है, शिक्षक हित में कार्य कर रही है, विष्णु प्रसाद साहू दुर्ग जिले के शास उ मा विद्यालय घाेटवानी में पदस्थ है, उनका अति शेष सूची में आने से पदस्थ विद्यालय, गांव में, शिक्षकाें में, छात्राओं एवं आम जनमानस में घाेर निराशा है।
विष्णु साहू ने बताया कि गया है कि 2018 में हाई से हायर सेकेण्डरी विद्यालय में उन्नयन हुआ है, वाणिज्य संकाय का 01 पद स्वीकृत है वरिष्ठता में वह खुद 13064 नंबर है जबकि नितिन ताम्रकार 17157 है। उसके बाद भी उन्हें अतिशेष करना कहीं राजनीति का हिस्सा तो नहीं।
विष्णु प्रसाद साहू सभी मामले मे वरिष्ठ व्याख्याता है, पिछले 01 साल से कार्यलय जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर नितिन कुमार ताम्रकार कनिष्ठ हाेने की वजह से अति शेष हाेने पर शा उ मा वि खिलाेराकला में अध्यापन व्यवस्था के तहत पदस्थ थे।
अब युक्तियुक्तकरण के तहत विष्णु प्रसाद साहू का नाम अति शेष में आना आश्चर्य है, दावा आपत्ति करने का शासन ने समय नही दिया है, ये शासन की नीति और नियम है जिसमें किसी भी शिक्षक कि सुनी नहीं जा रही है जबकि दावा आपत्ति करने का अतिशेष शिक्षक का अधिकार है।
