छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में अब स्वास्थ्य सेवाओं की नई रोशनी जगमगा रही है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की पहल पर राज्य के 10 जिलों में ‘आयुष मोबाइल मेडिकल यूनिट’ का संचालन बड़े ही सफलतापूर्वक किया जा रहा है। राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत वर्ष 2024 में शुरू हुए इस कार्यक्रम का मकसद है पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को गांव-गांव तक पहुंचाना और अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों को आयुर्वेद की ताकत से जोड़ना।
ये जिले बने मिशन के केंद्र
सरगुजा, रायगढ़, बस्तर, महासमुंद, बालोद, बलरामपुर, गरियाबंद, जशपुर, कोरिया और कबीरधाम जिलों में यह अभिनव योजना ज़ोर-शोर से चल रही है। खास बात यह है कि इस पहल का केंद्रबिंदु रहे हैं पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) क्षेत्रों में रहने वाले लोग। इन इलाकों में मोबाइल यूनिट हर सप्ताह निर्धारित दिन पर पहुंचकर ओपीडी शिविर आयोजित कर रही है।
ग्रामीणों को मिल रही मुफ़्त औषधियां और सलाह
शिविरों में आयुष चिकित्सक न सिर्फ संचारी और गैर-संचारी रोगों की जांच कर रहे हैं, बल्कि रोगियों को मुफ्त आयुष औषधियां भी वितरित कर रहे हैं। इसके अलावा, ग्रामीणों को घरेलू उपचार, आयुर्वेदिक दिनचर्या, रात्रिचर्या और आहार-विहार के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है। आयुष चिकित्सकों की यह सलाह ग्रामीणों को एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली की ओर प्रेरित कर रही है।
18,000 से अधिक लोग उठा चुके हैं लाभ
आयुष मोबाइल मेडिकल यूनिट की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 18,405 से अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा चुके हैं। यह पहल न सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार को सुलभ और भरोसेमंद बना रही है, बल्कि लोगों के मन में आयुर्वेद के प्रति विश्वास भी जगा रही है।
एक नई उम्मीद, एक नई शुरुआत
ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा की यह पहल अब एक नई उम्मीद बनकर उभर रही है। यह साबित कर रही है कि जब नीति और नीयत दोनों सही हों, तो कोई भी पहाड़ और कोई भी फासला छोटा हो जाता है। आयुष विभाग की यह अनूठी पहल निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में स्वस्थ जीवनशैली की नई कहानी लिख रही है।
